11.17.2009

हमर गांव



दिल्ली के महानगरीय भीड-भाड से निकल के अपना भूचड देहात में जाय के मौका कमे मिलेला.दिवाली-छ्ठ के मोका पर घरे जाय के अवसर मिलल.एगो निश्चित उद्देश्य ले के पहिले गईनी लेकिन कुछ कारण बस ई काम ना हो सकल.एकरा पर अगिला बेर विशेष बात होई.एमकी दाव गांव में उ आनंद ना मिलल जवन पहिले के हर यात्रा में मिलत रल.पैक्स के होखे वाला चुनाव इहां के सारा व्यवस्था बदल देले रहल.भेंट भइला पर लोग समाचार पुछे के जगे पर चुनावी समीकरण पर ही ज्यादा बात करे.लागल की गंवई शैली एकदम अपने आप के चुनावी रंग में रंग के अपन मूल विशेषता ही खो देले बा.१९ अक्टूबर के चुनाव भईल.परिणाम उहे आइल जइसन पूरा देश के अभी के राजनीतिक समां बा-वंशवाद के विजय.मुखिया के बेटा ही अंत में जीतल.
इ उधेडबुन आ जीत-हार के कथा अभी विसर्जित ना भइल रहे ताले छ्ठ आ गईल.हर साल लखा अभिरंग कला परिषद’’ के सदस्य लोग रास्ता आ देव स्थान के सफ़ाई में लाग गईल. छ्ठ त होला एगो सरकारी तालाब में जवन की अपना समय में बहुत बडका रहे  बाकिर अब कुछ लोग ओकरा के छेक के साफ़ छोट क देले बा.बहुते प्रयास के बाद भी अभी तक एकर सफ़ाई संभव नईखे हो पाईल.
छ्ठ घाट पर देखे में आइल कि पहिले एतना लोग अब नइखे आवत.अब अइसन लागता कि जेतना लोग गांव से पलायन कइल बा उ लोग अब नइखे आवत.  बाकिर कुछ लोग जरूर आईल रहे जेकरा साथ रहे में मन लागल .छ्ठ ठीक से संपन्न हो गईल.
हमर गांव पजिअरवा’’ में जनम लेवे वाला प्रत्येक आदमी के इ सपना रहल की इ गांव कब सडक आ बिजली से जुडी.हमरा मन परता कि हमनी बचपन में गांव से बाहर जाए ला आधा किलोमीटर पानी हेल के बाकी पांच किलोमीटर पैदल तब जाके रोड चाहे स्टेशन पहुंचल जाए. लेकिन कुछ दिन पहिले आधा रास्ता ‘मुख्यमंत्री ग्राम्य सडक योजना’ से बनल रहे आ बचल पर अभी देखनी की ‘प्रधान मंत्री ग्राम सडक योजना’ के अंतर्गत काम चालू बा.भारत सरकार के योजना ‘राजीव गांधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना’ से गांव में बिजली त पहुंचल लेकिन उहो आधा गांव में आधा अभी बाकी ही बा. बिजली आ सडक पहुंचला से लोग के जीवन स्तर में कुछ सुधार मह्सूस कइल जा सकता. अभी कुछ दिन पहिले तक बैट्री के आभाव में मोबाईल कई दिन तक बंद रहत रहल लेकिन अब अइसन नइखे. टेलीविजन आ सेटेलाईट एंटिना  के संख्या भी बडत जाता.
सुविधा बढला से लोग आपस में कटे लागल अईसन हमरा बुझाता.  बिजली रहला पर लोग टीवी देखी लेकिन दोसर से मिले आ बात करे ना जाइ.लेकिन हमनी के अभिरंग कला परिषद’’ के माध्यम से आपसी मतभेद के भुला के साथ रहे के प्रयास करतानी सन ,जेमे सफ़ल भी बानी सन .एकरा के और बेहतर करे के सोच के साथ फ़ेर दिल्ली आ गइनी. एमकी दाव लागल की गांव भी अब शहर बने के रास्ता पर अग्रसर बा.

9.28.2009

भोजपुरी गजल


आज दशहरा ह नेपाली में कहे के होइ त बडा दशैं. चारू ओर मेला के धूम-धाम के बीच मां दुर्गा के मूर्ति देखे के होड बचपन में बहुत रहे .लेकिन आज दिल्ली में रहला के बावजूद हम इ आनंद से अछूत बानी काहे कि इहां दशहरा के नाम पर राम लीला तक ही लोग अपने के सीमित राखे ला.रोड पर रावण दहन के तैयारी चल रहल बा .मकान के सारा लोग ए गहमागहमी के हिस्सा बने चल गईल बा .हम घर में बैठ के ब्लॉग लिखतानी. हमर रूचि भीड-भाड वाला जगह पर जाए से बचे में ही ज्यादा ह . अभी हम इहे सोचतानी कि का रावण के जला देला से वर्तमान दुनिया के रावण से मुक्ति मिल जाई अगर ना, त एगो विकासशील देश में हर साल एतना पइसा के बर्बादी रोके के उपाय खोजे के पडी.
अभी तक ब्लॉग पर बहुत कुछ लिखल गईल लेकिन हम एमकी दाव भोजपुरी के एगो काफ़ी समर्थ गीतकार, कवि, गजललेखक, साहित्य के सब विधा पर समान रूप से लेखनी चलावेवाला श्री दिनेश भ्रमर के कुछ भोजपुरी रचना दे तानी.भोजपुरी आ हिन्दी साहित्य पर बराबर अधिकार रखे वाला श्री दिनेश जी के कई गो रचना देश के विश्वविधालय के पाठ्यक्रम में भी लागल बा आउर बहुत किताब भी इहां के लिखले बानी.ज्योतिष पर भी इनकर काफ़ी अच्छा पकड बा. महाविधालय में कुछ दिन व्याख्याता पद पर काम कइला के बाद उहां के वर्तमान में खेती-बाडी के काम अपन आवास स्थान बगहा में रह के  देखतानी.
  भोजपुरी साहित्य में गजल आउर रूबाई के जगह दिवावे में इनकर महत्वपूर्ण नाम लेवल जाला. इनकर रचित कुछ निमन-निमन रचना अपना हिसाब से दे तानी अपनहूं लोगन के ई स्वच्छ-सुंदर आ शिष्ट रचना जरूर पसंद आई.

      गजल
आंख में आके बस गइल केहू,
प्रान हमरो परस गइल केहू.
हमरे लीपल पोतल अंगनवां में,
बन के बदरा बरस गइल केहू.
गोर चनवा पै सांवर अंधेरा,
देखि के बा तरस गइल केहू.
फूल त कांट से ना कहलस कुछु,
झूठे ओकरा पे हंस गइल केहू.
कठ के जब बजल पिपिहरी तब,
बीन के तार कस गइल केहू.


       रूबाई
मन के बछरू छ्टक गइल कइसे,
नयन गगरी ढरक गइल कइसे.
हम ना कहनी कुछु बयरिया से,
उनके अंचरा सरक गइल कइसे.

           गजल
नजरिया के बतिया नजरिया से कहि द,
ना चमके सोनहुला किरनिया से कहि द.
          नयन में सपनवां बनल बाटे पाहुन,
          सनेसवा जमुनियां बदरिया से कहि द.
लिलारे चनरमा के टिकुली बा टहटह,
लुका जाय कतहूं अन्हरिया से कहि द.
          न आवेले सब दिन सुहागिन ई रतिया,
          तनी कोहनाइल उमिरिया से कहि द.
नयन के पोखरिया भइल बाटे लबलब,
ना झलके भरलकी गगरिया से कहि द.

        विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

            

9.24.2009

बंगलोर में पॉँच दिन

तीसरा दिन
तीसरा दिन के शुरूआत भइल मृत्युंजय के कमरा पर. उहां ओकरा साथ रहे वाला मित्र लोग से व्यापक बतखोरी भइल. सब के पास अपन प्रेमिका रहे जेकरा से बात करे में लोग दिन दुनिया भुला गइल रहे. मृत्युंजय के छवि हमेशा से एक GOOD BOY वाला रहल. क्लास में उ पढाई के अलावा कवनो चीज के बारे में बात करे से कतराए. लेकिन इहां वोकरा जीवन शैली में गजब के परिवर्तन देखनी. अब उ पढाई से इतर तथाकथित अनैतिक बात में भी खुल के हिस्सा लेता. समय के साथ परिवर्तन ही मनुष्य के दोसर नाम ह.
दिन में खाना खा के हमनी के सिटी स्टेशन के निकट मैजेस्टिक पहुंचनी सन लौटे के टिकट लेवे. मैजेस्टिक पर देखनी की कुछ जवान लडकी आ औरत खडा बाडीसन. पता चलल इ लोग वेश्या ह.हमर शक भईल रहे पहिला बार स्टेशन से बाहर निकले के क्रम में लेकिन शक के आधार पर केहू के गलत पहचान कईल ठीक ना रहे. किताबी जानकारी के आधार पर एतना पता रहे की दक्षिण भारत में मंदिर के देवदासी प्रथा बाद में कुत्सित हो के वेश्या निर्माण के साधन बन गईल. सब तरह से आश्व्स्थ भइला पर हम इ लोग से बात करेके प्रयास कईनी लेकिन भाषिक संरचना में अंतर बात ना पूरा होए देलख.हम जाने समझे के चाहत रनी कि इ लोग इ हाल में काहे पहुंचल, सरकार पुनर्वास के कोई गंभीर प्रयास काहे नइखे करत, अगर व्यवस्था बा त उ कार्य रूप में काहे नईखे दिखत.
चौथा दिन
     काफ़ी ऎने-ओने बउअईला के बाद हम अजय के भैया के डेरा  COX TOWN चल गईनी रात एही जांन कटल. इहां नेट आ केबल कनेक्शन समय काटे में सहभागी बनल. बाहर जाय के मन अब तक लगभग समाप्त हो गइल रहे.बंगलोर के मौसम हमेशा काफ़ी निमन रहेला.दिन में गुनगुनात धुप आ दिन में कई बेर मेघ मौसम के और सुहाना बना देवेला.रात में सूते समय एक चादर हमेशा उपयोगी होला.लेकिन जब हम पहुंचनी त दिन में बारिश के अता-पता ना रहे साथ ही धुप आवरो तेज हो के निकलल.लोग बतईलख की इ तोहरा दिल्ली से अईला के कारण उहां के कुछ अंश खीच लेले बा.कुल मिलाके सारा लोग इहां के मौसम के बखान कइलख लेकिन हम भूगोल में पढला के आधार पर ही ओ लोग के समर्थन कईनी उहां मिलल अनुभव से ना.
चौथा दिन ही हमर एगो गांव के पुरान दोस्त चाहे कह ली कि लंगोटिया यार विष्णु जी के फ़ोन आइल की हम हवाई जहाज पर बैठ गईल बानी आ खाडी देश कमाए जा तानी.मन उदास हो गइल.एकरा साथ बितावल समय पर त कइ महीना लिखल ज सकता लेकिन आज ना फ़ेर कबो.आज ही सोनू के ट्रैन रहे उ घरे गईल अपना मां के आ हमरा बडकी दीदी के बरखी में जवन दशहरा के शुरू होय के दिन होला ए साल 19सितम्वर के रहे.आजे शाम हम प्रमित के डेरा चल देनी.रास्ता में हम शिवाजी नगर बस स्टाप पर हम दिशा के बोध भटक गईल आ हम रास्ता भूला गईनी.बहुत देर तक आवे-जाए वाला लोग के ही देखत रहनी लोग से पुछ के परेशान रनी कोई उपाए ना सुझे.एही उधडबुन में हमर साथ देलख बस के महिला कंडक्टर.अपना साथ ले जा के हमरा निश्चित जगे पर जाए वाला बस में चडा देलख लेकिन एकरा ला ओकर धन्यवाद कईला पर उ कुछ बोलल लेकिन हम समझ ना पईनी.बस में औरत लोग के काम करत देखल ई हमर पहिला अनुभव रहे.मन काफ़ी खुश भइल की दुनिया के एगो पिछ्डल समुदाय के भी अब प्रतिनिधित्व मिलल शुरू हो गईल बा अईसे अब भरतीय सेना आ अर्धसैनिक बल में भी ए लोग के सेवा कुछ दिन से शुरू हो गइल बा.रास्ता में चिन्ना स्वामी स्टेडियम गईनी जेमें KPL(कर्नाटक प्रिमियर लीग) के मैच समाप्ति पर रहे.गेट न.7 पर नेशनल क्रिकेट अकादमी के कार्यालय देख के ही अपने आप के संतोष दिलइनी. 
पांचवा आ अंतिम दिन
तब तक आ गईल पांचवा आ चले के दिन.सबेरे-सबेरे तैयार हो के अरविंद भैया के घरे माराथल्ली पहुंचनी जहां स्कूल के दिन के सारा याद ताजा हो गईल.उनका इ गो रूम मेट लोग से भी मिले के मौका मिलल.कुछ देर बात रूकला के बाद उ IBM ला निकल गईले आ हम उनकर एगो दोस्त के साथ बाइक के सवारी पर निकलनी.हमरा के उ स्टेशन पहुंचा के अपना आफ़िस लौट गइले.
वापसी हमर कर्नाटका संपर्क क्रान्ति से भइल.जवन ऎह दिने भाया पुणे दिल्ली पहुंचेला. बंगलोर से पुणे पहुंचे के क्रम में पहाड के बीच से गुजरत-गुजरत मन आकुल हो गइल. कहीं-कहीं त ट्रैन ऎतना उंचाई पर चले की नीचे के लोग काफ़ी छोट लउके.पटरी के दूनू ओर सघन रूप से नारियल के खेती भइल रहे जेकरा बीच-बीच में केला आ दोसरा फ़ल-फ़लहरी लगावल रहे.पुणे पहुंचला पर स्वाईन फ़्लू के भय मन में रहे जेकरा चलते ओतना देर गाडी रूकला के बावजूद हम नीचे ना उतरनी. लोग मुंह में मास्क लगा के बडका भारी संख्या में घुमत रहे.ट्रैन के घटीया खाना खात हम विश्वकर्मा पूजा के दिन दस बजे दिल्ली पहुंचनी.
   बंगलोर के बात अब समाप्त होता अगिला बेर फ़ेर कुछ नया देवे के कोशिश करेम.
इ ब्लोग में  अब फ़ेर बदल के छापल जाता काहे की कुछ लोग के प्रतिष्ठा आ मन के ठेस पहुचल ह उ लोग हमर अपन दिल के काफ़ी नजदीक रहे वाला रल लोग . एही से हम ब्लोग में कुछ व्यक्तिगत बात भी लिखनी लेकिन कुछ लोग के आपति होई इ बात हम ना सोच पइनी .जेकरा-जेकरा बात बुरा लागल होई ओ लोग से हम माफ़ी के उम्मीद करेम.हम ई बात भी कह दी की ई ओईसन बात रल जवन बहुत त खराब ना रल लेकिन लोग से छुपावे ला मित्र लोग के इहे सोच बा त ओमें हम ई लोग के साथ तहे दिल से देम.
 पढ के प्रतिक्रिया भी जरूर दी लोगन जे से और नया ताजगी लावल जा सके.
राउर और केवल अपने लोग के संघतिया
  प्रहलाद मिश्रा
  (कुणाल किशोर विध्यार्थी)